दिनांक 4 अप्रैल 2025 को केशव माधव सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककोड में दुर्गा अष्टमी एवं रामनवमी का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मनोज कुमार मिश्र जी एवं मुख्य वक्ता आचार्य श्रीकिशन शर्मा जी रहे। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की आचार्या बहन श्रीमती सोनिया गोस्वामी जी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ किया गया।आज के इस कार्यक्रम में विद्यालय के भैया बहनों ने दुर्गा अष्टमी एवं रामनवमी मनाए जाने के कारणों पर प्रकाश डालते हुए भक्ति गीतों की प्रस्तुति की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य श्रीकिशन शर्मा जी बताया कि कहा जाता है कि जब धरती पर महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया और देवता भी उसे हरा पाने में असमर्थ हो गए, क्योंकि महिषासुर का वरदान प्राप्त था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा का अनुरोध किया।इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया।ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला, तब से इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा।
चैत्र नवरात्रि के अंत में राम नवमी आती है। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म राम नवमी के दिन ही हुआ था।जबकि शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन महानवमी के रूप में मनाया जाता है।इसके अगले दिन विजय दशमी पर्व होता है।विजय दशमी के दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का मर्दन किया था और प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसलिए शारदीय नवरात्रि विशुद्ध रूप से शक्ति की आराधना के दिन माने गए हैं।
मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि की साधना आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करने वाली है। आज के इस कार्यक्रम में आचार्या बहन श्रीमती मधु शर्मा जी ने एक सुंदर भक्ति गीत की प्रस्तुति की। प्रधानाचार्य श्री मनोज कुमार मिश्र जी ने चैत्र नवरात्रि और राम नवमी से जुड़ी मान्यताओं के बारे में बताया। विद्यालय के अध्यक्ष श्री अशोक गुप्ता जी, प्रबंधक श्री जगदीश प्रसाद ढौंडियाल जी, सह व्यवस्थापक श्री कालीचरण जी एवं कोषाध्यक्ष श्री दिनेश सिंघल जी ने सभी क्षेत्रवासियों को दुर्गा अष्टमी एवं रामनवमी की शुभकामनाएं दीं। आज के इस कार्यक्रम में विद्यालय के समस्त आचार्य बंधु, आचार्या बहनें एवं भैया बहन उपस्थित रहे।