दिनांक 10 अगस्त 2024 को केशव माधव सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककोड़ में काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह के कार्यक्रम के अंतर्गत वीर बलिदानियों पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता कराई गई तथा कृमि मुक्ति के लिए गोलियां खिलाई गई।साथ ही संत गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती का कार्यक्रम वंदना स्थल पर मनाया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मनोज कुमार मिश्र जी एवं मुख्य वक्ता आचार्या बहन श्रीमती सरोज मिश्रा जी रहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ हुआ। कार्यक्रम में विद्यालय के भैया बहनों ने गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता आचार्या बहन ने बताया कि तुलसीदास जी का जन्म 1532 उत्तरप्रदेश के राजापुर गांव में हुआ था.वह भगवान राम और हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे।तुलसीदास की आध्यात्मिक यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने वराह क्षेत्र में राम मानस के बारे में सुना।इसके बाद वह साधु बन गए और रामचरितमानस जैसे महाकाव्य को लिखा।मान्यता है कि यह संत वाल्मिकि जी के अवतार है।सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है।तुलसीदास जी ने हिंदू महाकाव्य श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा समेत तमाम ग्रंथों की रचना की और अपना पूरा जीवन श्रीराम की भक्ति और साधना में व्यतीत किया। हनुमान चालीसा जो सबसे अधिक पढ़े जानें वाली रचना है । तुलसीदास ने अपना अधिकांश जीवन वाराणसी शहर में बिताया। वाराणसी में गंगा नदी पर प्रसिद्ध तुलसी घाट का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है।कहा जाता है कि तुलसीदास को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली थी। मान्यता है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया।तब तुलसीदास की मुलाकात अकबर से हुई और उसने अपनी तरीफ में उन्हें ग्रंथ लिखने को कहा।लेकिन तुलसीदास ने ग्रंथ लिखने से मना कर दिया। तभी अकबर ने उन्हें कैद कर लिया और कारागार में डाल दिया।जब तुलसीदास ने सोचा की उन्हें इस संकट से केवल संकटमोचन ही बाहर निकाल सकते हैं. तब 40 दिन कैद में रहने के दौरान तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की और उसका पाठ किया। 40 दिन के बाद बंदरों के एक झुंड ने अकबर के महल पर हमला कर दिया, इसमें बड़ा नुकसान किया।तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास को कारागार से मुक्त कर दिया। विद्यालय के अध्यक्ष श्री अशोक गुप्ता जी, प्रबंधक श्री जगदीश प्रसाद ढोंडियाल जी, कोषाध्यक्ष श्री दिनेश सिंघल जी ने बताया कि तुलसी दास जी रचित महाकाव्य श्री रामचरितमानस इनकी अदभुत कृति है जो हमें जीवन जीने की कला सिखाता है।आज के इस कार्यक्रम में विद्यालय के समस्त आचार्य बंधु, आचार्या बहने एवं समस्त भैया बहन उपस्थित रहे।