दिनांक 16 जनवरी 2024 को केशव माधव सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककोड में सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिन का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मनोज कुमार मिश्र जी एवं मुख्य वक्ता आचार्य श्री विवेक शर्मा जी रहे। कार्यक्रम में विद्यालय के भैया बहनों ने गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डाला।मुख्य वक्ता आचार्य श्री विवेक शर्मा जी ने बताया कि गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 22 दिसम्बर 1666 को पटना में नौवें सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी और माता गुजरी के घर हुआ था। उनके जन्म के समय पिता श्री गुरु तेग बहादुर जी असम में धर्म उपदेश के लिये गये थे। उनके बचपन का नाम गोविन्द राय था। पटना में जिस घर में उनका जन्म हुआ था और जिसमें उन्होने अपने प्रथम चार वर्ष बिताये , वहीं पर अब तखत श्री हरिमंदर जी पटना साहिब स्थित है।इन्होंने अन्याय, अत्याचार और पापों को खत्म करने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े। धर्म की रक्षा के लिए समस्त परिवार का बलिदान किया, जिसके लिए उन्हें ‘सरबंसदानी’ (पूरे परिवार का दानी ) भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले, आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं। विद्यालय के अध्यक्ष श्री अशोक गुप्ता जी ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह महान कर्मप्रणेता, अद्वितीय धर्मरक्षक, ओजस्वी वीर रस कवि और संघर्षशील वीर योद्धा थे। उनमें भक्ति, शक्ति, ज्ञान, वैराग्य, समाज का उत्थान और धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओत-प्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी। विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु हैं। गुरु नानक देव की ज्योति इनमें प्रकाशित हुई, इसलिए इन्हें दसवीं ज्योति भी कहा जाता है। त्याग और वीरता की मिसाल रहे गुरु श्री गोविंद सिंह ने बुराइयों के खिलाफ अपनी आवाज हमेशा बुलंदी की। तथा वे सन् 1708 को नांदेड साहिब में दिव्य ज्योति में लीन हो गए। अपने अंतिम समय में उन्होंने सिख समुदाय को गुरु ग्रंथ साहिब को ही अपना गुरु मानने को कहा और खुद ने भी वहां अपना माथा टेका था। गुरु गोविंद सिंह जैसा न कोई हुआ और न कोई होगा। आज के इस कार्यक्रम में विद्यालय के समस्त आचार्य बंधु, आचार्या बहने एवं विद्यालय के समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।