







दिनांक 29 अप्रैल 2025 को केशव माधव सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककोड़ में भगवान परशुराम जी की जयंती का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य श्री सुरेश गुप्ता जी एवं मुख्य वक्ता आचार्य श्री दीनदयाल शर्मा जी रहे। कार्यक्रम का संचालन आचार्या बहन श्रीमती सोनिया गोस्वामी जी ने किया। आज के इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ किया गया। आज के इस कार्यक्रम में भैया बहनों ने भगवान परशुराम जी के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं को बताया। मुख्य वक्ता आचार्य श्री दीनदयाल शर्मा जी ने बताया कि श्री परशुराम जी त्रेता युग (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि के यहाँ जन्मे थे। जो विष्णु के छठा अवतार हैं। पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार हैं। आचार्य श्री सुरेश गुप्ता जी ने बताया कि महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। वे शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। विद्यालय के अध्यक्ष श्री अशोक गुप्ता जी, प्रबंधक श्री जगदीश प्रसाद ढौंडियाल जी, कोषाध्यक्ष श्री दिनेश सिंघल जी, सह व्यवस्थापक श्री कालीचरण जी एवं प्रधानाचार्य श्री मनोज कुमार मिश्र जी ने कहा कि हमें भगवान परशुराम के जीवन से अन्याय के खिलाफ लड़ने, धैर्य, साहस, त्याग और ज्ञान को महत्व देने की शिक्षा मिलती है। उन्होंने अपने जीवन में अन्याय के विरुद्ध संघर्ष किया और धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहे। ।आज के इस कार्यक्रम में विद्यालय के समस्त आचार्य बंधु, आचार्या बहनें एवं विद्यालय के समस्त भैया बहन उपस्थित रहे।